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Monday 21 April 2014

स्थिर सरकार बनी तो ग्रोथ होगा 6.5%: क्रिसिल

लोकसभा चुनावों में अगर किसी गठबंधन के पक्ष में निर्णायक नतीजे आते हैं, तो अगले पांच सालों में जीडीपी की ऐवरेज ग्रोथ 6.5 पर्सेंट रह सकती है। यह दावा रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने किया है। हालांकि इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड ने 2014 से 2018 के बीच भारत की जीडीपी ग्रोथ 4 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि भारत की इकनॉमिक ग्रोथ जल्द 9 पर्सेंट पर नहीं पहुंचने जा रही है। क्रिसिल ने यह भी कहा है कि अगर लोकसभा चुनाव के बाद स्थायी सरकार नहीं बनती है, तो जीडीपी ग्रोथ मौजूदा 5 पर्सेंट के करीब बनी रह सकती है। क्रिसिल ने 'ग्रोथ आउटलुक रिपोर्ट 2014-15' में लिखा है, 'हमारा मानना है कि अगले पांच साल में भारत की इकनॉमिक ग्रोथ काफी तेज रह सकती है। हालांकि, यह 9 पर्सेंट के करीब नहीं पहुंचेगी। तेज इकनॉमिक ग्रोथ के लिए स्टेबल सरकार बनना जरूरी है। इससे नीतिगत फैसले तेजी से लिए जा सकेंगे। स्टेबल सरकार बनने के बाद प्राइवेट सेक्टर की ओर से इनवेस्टमेंट भी बढ़ेगा।'

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थायी सरकार बनने से गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स जैसे पेंडिंग रिफॉर्म्स पर भी तेजी से काम हो सकेगा। इससे लैंड एक्विजिशन और इन्वाइरनमेंटल क्लीयरेंस पर तस्वीर साफ होगी और फिस्कल और मॉनिटरी पॉलिसी के बीच तालमेल भी बढ़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, इससे प्राइवेट सेक्टर की ओर से इनवेस्टमेंट बढ़ेगा। अगर ऐसा होता है तो बैंकों पर बैड लोन का प्रेशर कम होगा। क्रिसिल ने यह भी कहा है कि अगर त्रिशंकु लोकसभा बनती है, तो इससे असरदार सरकार नहीं बन पाएगी। 
वर्ल्ड बैंक ने 2014-15 के लिए भारत की इकनॉमिक ग्रोथ 6.2 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया है। उसने कहा है कि 2015-16 में यह बढ़कर 6.6 पर्सेंट हो जाएगी। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 2016-17 में भारत की इकनॉमिक ग्रोथ 7.1 पर्सेंट रह सकती है। वहीं भारत के प्लानिंग कमीशन का कहना है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना यानी 2012-17 के बीच इकनॉमिक ग्रोथ 8 पर्सेंट रह सकती है। 2012-13 में जीडीपी ग्रोथ 4.5 पर्सेंट रही और इसके 2013-14 में घटकर 4.9 पर्सेंट रहने का अंदाजा है।

क्रिसिल का कहना है कि 2004-11 के बीच जीडीपी ग्रोथ 9 पर्सेंट रही थी। हालांकि अगले पांच साल में इतनी ग्रोथ नहीं दिखेगी। उसकी वजह ग्लोबल इकॉनमी की खराब हालत और प्राइवेट कंजम्पशन में कमी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल इकॉनमी पहले की तुलना में कहीं धीमी रफ्तार से बढ़ रही है, इसलिए भारत की एक्सपोर्ट ग्रोथ बहुत तेज नहीं रहेगी। दूसरी बात यह है कि कैपिटल स्टॉक का एक्युमुलेशन धीमी गति से होगा। तीसरी, प्राइवेट कंजम्पशन ग्रोथ इतनी नहीं होगी कि कंपनियां पूरी प्रॉडक्शन कैपिसिटी का इस्तेमाल कर पाएंगी। बैंक भी बैड लोन बढ़ने की वजह से इंडस्ट्री को जरूरत के मुताबिक फंड नहीं दे पाएंगे। इससे भी ग्रोथ पर असर पड़ेगा।

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