Monday, 28 April 2014

what is current account deficit

A measurement of a country’s trade in which the value of goods and services it imports exceeds the value of goods and services it exports. The current account also includes net income, such as interest and dividends, as well as transfers, such as foreign aid, though these components tend to make up a smaller percentage of the current account than exports and imports. The current account is a calculation of a country’s foreign transactions, and along with the capital account is a component of a country’s balance of payment.

क्या है चालू खाते का घाटा?




क्या है चालू खाते का घाटा? 
चालू खाते का घाटा तब पैदा होता है जब किसी देश की वस्तुओं, सेवाओं और ट्रांसफर का आयात वस्तुओं, सेवाओं और ट्रांसफर के निर्यात से ज्यादा हो जाता है। जब भारत में बनी चीजों और सेवाओं का बाहर निर्यात होता है तो जाहिर इससे भुगतान हासिल होता है। दूसरी ओर, जब कोई चीज आयात की जाती है चाहे वह कोई वस्तु या सर्विस हो तो उसकी कीमत चुकानी पड़ती है।

अगर हम विदेशी बाजारों में चीजें और सर्विस बेचने से ज्यादा खरीदते हैं तो व्यापार घाटे की स्थिति बन जाती है। इसका मतलब है कि घरेलू मांग को पूरा करने की क्षमता देश में नहीं है। हालांकि इसका एक मतलब यह भी है कि देश वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात से जितना विदेशी मुद्रा की कमाई करता है उससे ज्यादा खर्च करता है। यह विदेशी मुद्रा विदेशी वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने में खर्च होती है।

किस तरह होता है रुपया प्रभावित?
क्रॉस बाॉर्डर ट्रेड में भुगतान किसी मान्य करेंसी में ही होता है। यह भुगतान डॉलर में होता है। इसलिए निर्यात करने पर भारत की डॉलर में कमाई होती है। लेकिन आयात करने पर भी इसे डॉलर में ही भुगतान करना होता है। अगर निर्यात, आयात से ज्यादा होगा तो जाहिर है डॉलर की कमाई ज्यादा होगी।

यह अर्थव्यवस्था के लिहाज अच्छा है क्योंकि इससे देश में विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ता है। लेकिन अगर हमारा आयात ज्यादा होता है तो हमें इसकी कीमत चुकाने के लिए ज्यादा डॉलर की भी जरूरत पड़ेगी। इस मामले में हमें डॉलर खरीदने के लिए रुपये खर्च करने पड़़ेंगे और इससे हमारी करेंसी की स्थिति डॉलर की तुलना में कम कमजोर होती जाएगी?

Tuesday, 22 April 2014

सेंसेक्स उछाल के साथ 22,812 अंक की नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर

मुंबई: कंपनियों के जबरदस्त तिमाही नतीजों एवं सकारात्मक रुख के बीच सतत विदेशी पूंजी प्रवाह से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 22,812.36 अंक की नई ऊंचाई पर खुला।

इसी तरह, नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी 9.55 अंक ऊपर 6,827.20 अंक की नई ऊंचाई पर खुला।

पिछले दो सत्रों में 487 अंक मजबूत हो चुका सेंसेक्स आज 47.53 अंक की बढ़त के साथ नई रिकॉर्ड ऊंचाई 22,812.36 अंक पर खुला।

Monday, 21 April 2014

विदेशी निवेश लिमिट पार करने पर HDFC बैंक पर लगेगा जुर्माना!

दीपशिखा सिकरवार, नई दिल्ली
एचडीएफसी बैंक फॉरेन इनवेस्टमेंट लिमिट बढ़वाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इस पर पांच साल पहले फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (एफडीआई) पॉलिसी में हुए बदलाव का असर पड़ सकता है। इस पॉलिसी के तहत एचडीएफसी बैंक की पैरंट कंपनी हाउसिंग डिवेलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी) विदेशी कंपनी हो गई थी। एचडीएफसी बैंक में फॉरेन इनवेस्टमेंट लिमिट बढ़ाने की ऐप्लिकेशन पर सोमवार को फैसला हो सकता है।

एचडीएफसी बैंक में विदेशी निवेश की सीमा अभी 49 पर्सेंट है। बैंक चाहता है कि इसे बढ़ाकर 67.55 पर्सेंट किया जाए। हालांकि इसकी पैरंट कंपनी को विदेशी फर्म माना गया है। इस हिसाब से बैंक में विदेशी निवेश पहले ही 74 पर्सेंट की सीमा पार कर चुका है। बैंकिंग सेक्टर में विदेशी निवेश की लिमिट इतनी ही है।

इस मामले में फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) की सोच से वाकिफ दो सरकारी सूत्रों ने बताया कि बैंक में अधिक विदेशी निवेश की इजाजत देते हुए उस पर पेनाल्टी लगाई जा सकती है। दरअसल, बैंक ने एफआईपीबी का अप्रूवल लेने के बाद अधिक विदेशी निवेश हासिल नहीं किया है। उसमें पहले से ही फॉरेन इनवेस्टमेंट ज्यादा है। सूत्रों ने यह भी कहा कि एचडीएफसी बैंक में और ज्यादा विदेशी निवेश की इजाजत नहीं दी जाएगी। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने एफडीआई पॉलिसी के मुताबिक एचडीएफसी बैंक मामले में लॉ मिनिस्ट्री की राय मांगी है। एफआईपीबी, फाइनेंस मिनिस्ट्री के तहत ही काम करती है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने इस बारे में डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) से भी राय मांगी है। आरबीआई बैंकिंग रेगुलेटर है, जबकि डीआईपीपी एफडीआई पॉलिसी बनाता है। ऊपर जिन सरकारी सूत्रों का जिक्र किया गया है, उनमें से एक ने बताया, 'एफआईपीबी सबकी बातों को ध्यान में रखते हुए इस बारे में फैसला करेगा।' अगर संबंधित मंत्रालयों की राय नहीं मिली होगी तो इस बारे में फैसला टाला जा सकता है। दिसंबर में भी मामले को इसी वजह से टाला गया था।

2009 की एफडीआई पॉलिसी में कहा गया था कि अगर किसी फर्म में विदेशी निवेश 50 पर्सेंट से ज्यादा है तो उसे विदेशी माना जाएगा। अगर किसी कंपनी के 50 पर्सेंट से ज्यादा शेयर विदेशियों के पास हैं, तो उसे भी ओवरसीज कंपनी माना जाएगा। अगर ऐसी कंपनी दूसरी भारतीय फर्म में पैसा लगाती है, तो उसे भी विदेशी निवेश माना जाएगा। इस पॉलिसी में एफडीआई, फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टमेंट, फॉरेन करेंसी कन्वर्टिबल बॉन्ड, कन्वर्टिबल प्रीफरेंस शेयर और एडीआर/जीडीआर सबको फॉरेन इनवेस्टमेंट माना गया था। पॉलिसी लाए जाने के बाद सरकार ने बैंकों को खास छूट दी। एफडीआई लिमिट वाले सेक्टर्स में डाउनस्ट्रीम इनवेस्टमेंट और ब्रांच एक्सपैंशन को इससे छूट दी गई। हालांकि बैंकों के लिए भी वही एफडीआई पॉलिसी लागू है।

स्थिर सरकार बनी तो ग्रोथ होगा 6.5%: क्रिसिल

लोकसभा चुनावों में अगर किसी गठबंधन के पक्ष में निर्णायक नतीजे आते हैं, तो अगले पांच सालों में जीडीपी की ऐवरेज ग्रोथ 6.5 पर्सेंट रह सकती है। यह दावा रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने किया है। हालांकि इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड ने 2014 से 2018 के बीच भारत की जीडीपी ग्रोथ 4 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि भारत की इकनॉमिक ग्रोथ जल्द 9 पर्सेंट पर नहीं पहुंचने जा रही है। क्रिसिल ने यह भी कहा है कि अगर लोकसभा चुनाव के बाद स्थायी सरकार नहीं बनती है, तो जीडीपी ग्रोथ मौजूदा 5 पर्सेंट के करीब बनी रह सकती है। क्रिसिल ने 'ग्रोथ आउटलुक रिपोर्ट 2014-15' में लिखा है, 'हमारा मानना है कि अगले पांच साल में भारत की इकनॉमिक ग्रोथ काफी तेज रह सकती है। हालांकि, यह 9 पर्सेंट के करीब नहीं पहुंचेगी। तेज इकनॉमिक ग्रोथ के लिए स्टेबल सरकार बनना जरूरी है। इससे नीतिगत फैसले तेजी से लिए जा सकेंगे। स्टेबल सरकार बनने के बाद प्राइवेट सेक्टर की ओर से इनवेस्टमेंट भी बढ़ेगा।'

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थायी सरकार बनने से गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स जैसे पेंडिंग रिफॉर्म्स पर भी तेजी से काम हो सकेगा। इससे लैंड एक्विजिशन और इन्वाइरनमेंटल क्लीयरेंस पर तस्वीर साफ होगी और फिस्कल और मॉनिटरी पॉलिसी के बीच तालमेल भी बढ़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, इससे प्राइवेट सेक्टर की ओर से इनवेस्टमेंट बढ़ेगा। अगर ऐसा होता है तो बैंकों पर बैड लोन का प्रेशर कम होगा। क्रिसिल ने यह भी कहा है कि अगर त्रिशंकु लोकसभा बनती है, तो इससे असरदार सरकार नहीं बन पाएगी। 
वर्ल्ड बैंक ने 2014-15 के लिए भारत की इकनॉमिक ग्रोथ 6.2 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया है। उसने कहा है कि 2015-16 में यह बढ़कर 6.6 पर्सेंट हो जाएगी। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 2016-17 में भारत की इकनॉमिक ग्रोथ 7.1 पर्सेंट रह सकती है। वहीं भारत के प्लानिंग कमीशन का कहना है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना यानी 2012-17 के बीच इकनॉमिक ग्रोथ 8 पर्सेंट रह सकती है। 2012-13 में जीडीपी ग्रोथ 4.5 पर्सेंट रही और इसके 2013-14 में घटकर 4.9 पर्सेंट रहने का अंदाजा है।

क्रिसिल का कहना है कि 2004-11 के बीच जीडीपी ग्रोथ 9 पर्सेंट रही थी। हालांकि अगले पांच साल में इतनी ग्रोथ नहीं दिखेगी। उसकी वजह ग्लोबल इकॉनमी की खराब हालत और प्राइवेट कंजम्पशन में कमी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल इकॉनमी पहले की तुलना में कहीं धीमी रफ्तार से बढ़ रही है, इसलिए भारत की एक्सपोर्ट ग्रोथ बहुत तेज नहीं रहेगी। दूसरी बात यह है कि कैपिटल स्टॉक का एक्युमुलेशन धीमी गति से होगा। तीसरी, प्राइवेट कंजम्पशन ग्रोथ इतनी नहीं होगी कि कंपनियां पूरी प्रॉडक्शन कैपिसिटी का इस्तेमाल कर पाएंगी। बैंक भी बैड लोन बढ़ने की वजह से इंडस्ट्री को जरूरत के मुताबिक फंड नहीं दे पाएंगे। इससे भी ग्रोथ पर असर पड़ेगा।

सेंसेक्स 80 अंक चढ़ा, निफ्टी 6800 के आसपास

एक्सपायरी वाले हफ्ते की बाजार में शुभ शुरुआत हुई है। दोपहर के कारोबारी सत्र में भी बाजार में बढ़त देखने को मिल रही है। कैपिटल गुड्स, मेटल और ऑटो शेयरों में खरीदारी से बाजार में मजबूती बरकरार है। हालांकि आईटी और एफएमसीजी शेयरों में बिकवाली हावी है। वहीं दिग्गज शेयरों के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में ज्यादा मजबूती का रुझान है।

फिलहाल बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 76 अंक यानि 0.3 फीसदी की बढ़त के साथ 22,705 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 20 अंक यानि 0.3 फीसदी चढ़कर 6,799 के स्तर पर कारोबार कर रहा है।

बाजार में कारोबार के इस दौरान एलएंडटी, एमएंडएम, बीएचईएल, सेसा स्टरलाइट, पीएनबी और मारुति सुजुकी जैसे दिग्गज शेयरों में 3.3-2.1 फीसदी की मजबूती आई है। हालांकि विप्रो, केर्न इंडिया, एचयूएल, एशियन पेंट्स, डीएलएफ, सिप्ला, एचडीएफसी और इंफोसिस जैसे दिग्गज शेयरों में 5.4-0.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

मिडकैप शेयरों में बायोकॉन, नैटको फार्मा, एस्सार पोर्ट, एडेलवाइस और ओरिएंटल बैंक सबसे ज्यादा 9.2-5.3 फीसदी तक उछले हैं। वहीं स्मॉलकैप शेयरों में शासून फार्मा, टीटागढ़ वैगंस, क्वालिटी, हेरिटेज फूड्स और सिंफनी सबसे ज्यादा 20-10.3 फीसदी तक चढ़े हैं।

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