क्या है चालू खाते का घाटा?
चालू खाते का घाटा तब पैदा होता है जब किसी देश की वस्तुओं, सेवाओं और ट्रांसफर का आयात वस्तुओं, सेवाओं और ट्रांसफर के निर्यात से ज्यादा हो जाता है। जब भारत में बनी चीजों और सेवाओं का बाहर निर्यात होता है तो जाहिर इससे भुगतान हासिल होता है। दूसरी ओर, जब कोई चीज आयात की जाती है चाहे वह कोई वस्तु या सर्विस हो तो उसकी कीमत चुकानी पड़ती है।
अगर हम विदेशी बाजारों में चीजें और सर्विस बेचने से ज्यादा खरीदते हैं तो व्यापार घाटे की स्थिति बन जाती है। इसका मतलब है कि घरेलू मांग को पूरा करने की क्षमता देश में नहीं है। हालांकि इसका एक मतलब यह भी है कि देश वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात से जितना विदेशी मुद्रा की कमाई करता है उससे ज्यादा खर्च करता है। यह विदेशी मुद्रा विदेशी वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने में खर्च होती है।
किस तरह होता है रुपया प्रभावित?
क्रॉस बाॉर्डर ट्रेड में भुगतान किसी मान्य करेंसी में ही होता है। यह भुगतान डॉलर में होता है। इसलिए निर्यात करने पर भारत की डॉलर में कमाई होती है। लेकिन आयात करने पर भी इसे डॉलर में ही भुगतान करना होता है। अगर निर्यात, आयात से ज्यादा होगा तो जाहिर है डॉलर की कमाई ज्यादा होगी।
क्रॉस बाॉर्डर ट्रेड में भुगतान किसी मान्य करेंसी में ही होता है। यह भुगतान डॉलर में होता है। इसलिए निर्यात करने पर भारत की डॉलर में कमाई होती है। लेकिन आयात करने पर भी इसे डॉलर में ही भुगतान करना होता है। अगर निर्यात, आयात से ज्यादा होगा तो जाहिर है डॉलर की कमाई ज्यादा होगी।
यह अर्थव्यवस्था के लिहाज अच्छा है क्योंकि इससे देश में विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ता है। लेकिन अगर हमारा आयात ज्यादा होता है तो हमें इसकी कीमत चुकाने के लिए ज्यादा डॉलर की भी जरूरत पड़ेगी। इस मामले में हमें डॉलर खरीदने के लिए रुपये खर्च करने पड़़ेंगे और इससे हमारी करेंसी की स्थिति डॉलर की तुलना में कम कमजोर होती जाएगी?
No comments:
Post a Comment